Monday, 6 May 2019

पीएम मोदी की वो खूबियाँ, जो उन्हें बाकि नेताओं से अलग बनाती है


     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साधारण परिवार में जन्म लेकर देश के शीर्षस्थ पद तक पहुंचे। इस लंबी यात्रा में उन्होंने लगातार अपने व्यक्तित्व को प्रखर बनाने का कार्य किया । पद, जिम्मेदारी व कर्तव्य के अनुरूप अपनी पात्रता विकसित की। नेतृत्व व भाषण कला में महारथ हासिल की । जिसकी बदौलत वे भारत के दमदार व दुनिया के लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते है। ये दोनों कला उन्होंने समय के साथ सीखी। आरएसएस के सक्रिय सदस्य के रूप में पहली बार मोदी ने सार्वजनिक जीवन में  कदम रखा। संघ की शाखा व कार्यकर्ताओं के साथ रहकर उन्होंने अनुशासन को सदा के लिए अपना लिया। 1986 में तत्कालीन सरसंघचालक मधुकर दत्तात्रय देवरस के कहने पर भाजपा में शामिल हुए। गुजरात, हिमाचल सहित कई प्रदेशों  में पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य किया। जहां भी कार्य किया, वहां अपनी संगठनात्मक कौशल क्षमता का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाया।

     2001 में गुजरात में भाजपा सरकार पर खराब शासन व भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों के बीच विधानसभा उपचुनाव हुए। जिसमें भाजपा की हार हुई। केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में भाजपा सरकार के प्रति जनता के विश्वास को बरकरार रखने के लिए मोदी को प्रदेश की कमान सौंपी। जिसके बाद मोदी ने अपनी नेतृत्व क्षमता के बल पर गुजरात को बीमारू राज्य से विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा किया। राज्य में अजेय रहते हुए लगातार 4 बार मुख्यमंत्री बने। सीएम कार्यकाल के 13 साल में कड़ी मेहनत से उन्होंने 2002 गुजरात दंगों में बनी अपनी हिंदुत्ववादी छवि को विकासपुरूष में बदला। 2013 में एनडीए ने उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया। 6 महीने के समय में 600 से अधिक ताबड़तोड़ रैलियां की। पूरे देश का दौरा किया। आकर्षक भाषणों से जनता को मंत्रमुग्ध कर उन्होंने भाजपा को 282 सीटे दिलाई। और देश के पीएम बने।

    प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश के अंदर जीएसटी लागू कर आर्थिक क्रांति की। आयुष्मान भारत, जनधन, प्रधानमंत्री कौशल विकास सहित अनेक योजनाओं से गरीबों व जरूरमंदों की सहायता की। जनरल कैटेगरी के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने का एतिहासिक निर्णय लिया। आतंकवाद पर कड़ा रूख अख्तियार किया। सर्जिकल स्ट्राइक व एयर स्ट्राइक जैसे साहसी कदम उठाने की सेना को अनुमति दी। विश्व मंच पर पाक की नापाक हरकतों का पर्दाफाश किया। मोदी ने अंतराष्ट्रीय फलक पर भारत की ताकत को बढ़ाया। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए अंतराष्ट्रीय सौर एलायंस का गठन किया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना शुरू कराया। 

       विश्व के दिग्गज नेताओं ने मोदी के सफल नेतृत्व का लोहा माना। ओबामा, ट्रंप, पुतिन, जिनपिंग, नेतन्याहू, मार्कल जैसे दुनिया के प्रमुख देशों के पंथ प्रधानों ने मोदी की जमकर तारीफ की। इस प्रकार मोदी ने बीते 5 सालों में भारत का सफल नेतृत्व किया। जनता से सीधे संवाद बनाए रखने के लिए कई नये प्रयोग किये। प्रत्येक महीने के अंतिम रविवार को रेडियों पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम शुरू किया। देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर विभिन्न योजनाओं को लाँच किया। सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहकर सरकार के कामकाज की जानकारी दी। 


      पीएम ने अपने कार्यकाल में प्रत्येक 3 दिन में लगभग 2 स्पीच दी। मोदी की भाषण कला की खूबियां, उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती है। वे जहां जाते हैं, वहीं के रंग में रंग जाते है। चाहे वह स्थानीय वेषभूषा हो या भाषा। लोगों का दिल जीतने या फिर उस संस्कृति का सम्मान करने भाषण की शुरूआत स्थानीय भाषा-बोली में करते है। पहनावा भी उसी संस्कृति का धारण करते है। वहां के प्रसिद्ध कवि, संत, लेखक व महापुरूष के प्रति सम्मान प्रकट करते है। इस वजह से लोग उन्हें अपना मानने लगते हैं। 

      भाषण में परपंरागत तरीके से हटकर दोतरफा संवाद करते है। भीड़ से ‘‘होना चाहिए कि नहीं, हुआ कि नहीं’’ जैसे सवाल पूछकर उनकी प्रतिक्रिया लेते है। जिससे रैली में मौजूद लोगों का उत्साह और अधिक बढ़ जाता है। सरकार की योजनाओं को बेहद सरल ढंग से प्रस्तुत करते है। जरूरत पड़ने पर उदाहरण, कहानी, कविता, श्लोक आदि का प्रयोग करते है। विपक्ष पर तीखे वार करते है, अधिकतर विरोधियों का नाम लिए बगैर उन्हें चारों खाने चित करते है। बेहतरीन शब्दों का चयन करते है। अपने को जमीन से जुड़ा साधारण आदमी बताने से नहीं चूकते है। मन, वचन व कर्म में एकरूपता लाकर व्यक्तित्व को नयी धार देते हैं ।

Wednesday, 20 February 2019

दे.सं.वि.वि. की इंटर्नशिप टीम ने मस्जिद में योग के साथ कराई सामूहिक प्रार्थना

देव संस्कृति विश्विद्यालय से एक महीने की सोशल इंटर्नशिप के लिए गए विद्यार्थी अविस्मरणीय अनुभव के साथ वापस लौटे। गुरुसत्ता के आशीष के अनुभूति उनके द्वारा सहज ही जानी जा सकती है। पूर्वोत्तर भारत के असम व अरुणाचल प्रदेश में जाने वाली टोली सदस्य राजू राम, निखिल चौधरी व प्रखर पांडे ने इंटर्नशिप में बेहतरीन काम कर एक मिसाल पेश की। स्थानीय कार्यकर्ता डॉ आर.एन. यादव के मार्गदर्शन में टीम ने योग, बालसंस्कार, दीप यज्ञ, यज्ञ व व्यक्तित्व परिष्कार कार्यशाला का आयोजन किया।


गायत्री प्रज्ञापीठ जागुन में बालसंस्कार शाला में विद्यार्थियों की संख्या 3 शुरू से होकर 56  तक पहुँची। सबसे खास बात इसमें हिन्दूओं के आलावा मुस्लिम व ईसाई परिवार के बच्चे भी शामिल थे। टीम ने असम के लेखापानी में राजपुताना रायफल्स नवीं बटालियन के जवानों व अधिकारियों की 11 दिनों तक योग, ध्यान, प्राणायाम की कक्षा ली। जिससे प्रभावित होकर बटालियन के कर्नल मुकेश पांडे जी ने स्थानीय विद्यार्थियों को दे.सं.वि.वि. में पढ़ाने के लिए फीस व अन्य आवश्यक खर्च  वहन करने का वादा किया। साथ ही विश्वविद्यालय के बीएड में अध्ययनरत जागुन की एक छात्रा को 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। कर्नल पांडे जी ने गायत्री परिवार के असम में शिक्षा व स्वास्थ्य आंदोलन को गति देने के लिए 5 लाख की वित्तिय सहायता का प्रस्ताव भी दिया।

इंटर्नशिप टीम ने जागुन क्षेत्र की जामा मस्जिद में 9 दिवसीय योग शिविर लगाकर प्रज्ञा योग व सूक्ष्म व्यायामों द्वारा स्वस्थ रहने के गुर सिखाए। मस्जिद के कार्यक्रम के समापन पर आयोजित सामूहिक प्रार्थना में सत्प्रवृत्ति सवंर्धन व दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन के तहत मुस्लिम बंधुओं को संकल्प कराया। टीम ने अरुणाचल प्रदेश के जयरामपुर में स्थित असम रायफल्स 13 वीं बटालियन में चार दिवसीय योग, एक्युप्रेशर व मर्म चिकित्सा का शिविर लगाया। जिसका लाभ बटालियन के जवानों, अधिकारियों व उनके परिवारों ने लिया। इस दौरान असम रायफल्स स्कूल के विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के सूत्र देकर प्रज्ञा योग सिखाया।

स्कूलों में आयोजित कार्यक्रमों में योग, आदर्श दिनचर्या, उचित खानपान व व्यक्तित्व विकास के साथ गायत्री मंत्र का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक लाभ विद्यार्थियों तक पहूंचाया। साथ ही विद्यार्थियों को देव संस्कृति विश्वविद्यालय में पढ़ने का आमंत्रण भी दिया। टीम ने किड्जी स्कूल व केंद्रीय विद्यालय लेखापानी के पुस्तकालय में अखण्ड ज्योति को सब्सक्राइब भी कराया। विद्यालयों के स्टाफ को तनाव प्रबंधन व समय प्रबंधन के सूत्र दिए।इस प्रकार एक महीने की परिवीक्षा काल में विद्यार्थियों ने समूचे क्षेत्र को देव संस्कृतिमय बना दिया।

टीम के सदस्यों के अनुसार परिवीक्षाकाल में बड़े-बड़े कार्य करने के लिए वे केवल एक कदमभर बढ़ाते थे, बचा कार्य बड़ी आसानी से हो जाता। जिससे गुरुसत्ता के प्रत्यक्ष आशीष का आभास होता था।

Tuesday, 19 February 2019

बीमारियों के प्रकोप से बचने के लिए अपनाना होगा आपको ये तरीका

आज का दौर बीमारियों का दौर है। हम रोजाना नई बीमारियों सामना कर रहे हैं। आज कोई ही ऐसा व्यक्ति होगा जो बीमार न होता हो, जो अपने स्वास्थ्य से परेशान न हो। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि नई पीढ़ी बीमारी में ही पलती है और बीमारी में ही इस दुनिया को देखती है। सवाल यही है कि हमारी इस दुर्दशा का कारण क्या है?  हमारा खानपान या हमारी जीवनशैली।
हम जो सब्जियां खाते है, वो गंदगी में उगाई जाती हैं। उनमें कैमिकल इतना होता है कि जो हमें नुकसान पहुंचाती हैं। अन्न रासायनिक उवर्रकों के प्रयोग से पककर हम तक आता है, गुड़, शक्कर, दूध सहित रसोई में आने वाली हर वस्तु रसायनों, कीटनाशकों से पोषण पाकर हम तक पहुँचती है। इस जहर को हम खाते है , नतीजन हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और बीमारियों का कहर हम पर टूट पड़ता है। ऐसे में जरूरत है पूरी तरह जैविक उत्पादों की व प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली की। ऐसा ही एक प्रयोग उत्तरप्रदेश के बिजनौर जिले में मनोज वर्मा जी कर रहे है।

 बिजनौर  जिले के अफजलगढ़ गांव के वासी मनोज वर्मा वैसे तो व्यापार आभूषणों का करते है, पर जैविक उत्पादों पर वैज्ञानिक की तरह काम करते है। यही वजह है उनका यह कार्य आसपास के ग्रामीणों के लिए एक आदर्श बन चूका है। मनोज जी के घर में प्रवेश करने पर सबसे पहले आपकों दर्शन होंगे गाय के। इनका कहना है कि उनके पूरे ऑर्गेनिक फर्म का आधार ये गाये है। भारतीय नस्ल की इन गायों का जिक्र करते कहते है, भारतीय संस्कृति में गाय को गौमाता कहने के पीछे वैज्ञानिक कारण है, यदि ये गाये रसायनों के प्रयोग से पका चारा खाती है तो दूध में उसका असर नहीं होता है।  बल्कि विदेशी नस्ल के साथ ठीक इसके उलट होता है। देशी गाय के गोमूत्र का प्रयोग कीटनाशक की जगह पर हम करते है। 

मनोज जी के घर के साथ सूर्य की रश्मियों के आकार का एक बेहद आकर्षक उपवन बना है, जहाँ विभिन्न मौसमी सब्जियां, फलों व फूलों की क्यारियां सजी है। गाजर, मूली, धनियां, पालक, गोबी, सेम, टमाटर, आलू, शकरकंद व मटर सहित वे सारी सब्जियां जिनकी पैदावार सर्दियों के मौसम में होती है। चीकू, नारंगी, केला, नींबू आदि के पौधे फलों से लदे हुए है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में तुलसी, एलोवेरा इत्यादि लगी हुई है। सेंगुड़ा जिसकी पैदावार बाहर की दुनिया में समान्यतः गंदे पानी में की जाती है, वो एकदम साफ पानी में लहलहा रहा है। व्यस्थित तरीके से लगे इस उपवन की सबसे खास बात है, यहाँ उपलब्ध सारे फल, फूल व सब्जियां ऑर्गेनिक है। किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं करते है। केवल गोबर व गौमूत्र की सहायता से बेहतरीन पैदावार ले रहे है।

मनोज जी बताते है कि उनका एक नया प्रयोग लकड़ी के बुरादे व जैविक खाद को गमले में डालकर सब्जियाँ उगाने का है जो बिना मिट्टी के सब्जी प्राप्त करने की अनोखी विधि है इसीलिए गमलों में लगे सब्जी के ये पौधे शहरी लोगों के लिए वरदान की भांति है क्योंकि शहरों में जमीन की कमी होती है तो लोग गमलों में अपने परिवार के  लिए पर्याप्त सब्जी का उत्पादन कर सकते है।
गाय के लिए जैविक चारे की व्यवस्था है, ताकि दूध, गोमूत्र, गोबर जैविक रूप में प्राप्त हो सके। रसोई भी पूरी तरह से भारतीयता के रंग में रंगी हुई है, अनाज पीसने हेतु पारम्परिक चक्की, खाना पकाने के लिए गोबर के कंडे, मिट्टी  के बर्तन व चूल्हा उपलब्ध है |


ये प्राणायाम व ध्यान करने के लिए उपवन के बीच बने आसन। यहां बैठकर  प्रणायाम करने से औषधियों की सुंगध शरीर में जाकर स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।


आपने शास्त्रों में सुना होगा कि धरती से ऊपर पेड़ पर बैठकर साधना करने से अधिक लाभ मिलता है, तो इसका प्रयोगिक रूप इस उद्यान में नीम के वृक्ष पर बनी इस कुटिया से देखा व अनुभव किया जा सकता है।
उपवन में लगे पौधों तक पानी के वितरण की व्यवस्था भी अच्छे से कर रखी है।
इसके साथ ही यहां वातावरण के शोधन के लिए नित्य यज्ञ होता है, जिसमें परिवार के सदस्य वैदिक मंत्रों के माध्यम सबके कल्याण की कामना करते है।

मनोज जी का कहना है कि इस जमीन को ऑर्गेनिक बनाने के लिए उन्होंने तकरीबन 1 साल मेहनत की। इस दौरान सफेद चुना, गोबर व गौमूत्र का इस्तेमाल कर जमीन को जैविक बनाया। जिसके कारण अब क्वालिटी के साथ अच्छी क्वांटिटी में जैविक उत्पाद प्राप्त कर रहे है।

मनोज जी बताते है कि मेरा पूरा परिवार इन ऑर्गेनिक उत्पादों का प्रयोग करता है, इसलिए सभी निरोगी है। मैंनें जो यह ऑर्गेनिक उपवन से लेकर खाने का मॉडल  बनाया यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे इसलिए व्यापक स्तर पर उत्पादन की दिशा में कार्य कर रहा हूँ।

यदि आप विस्तार से उपर्युक्त तथ्यों को जानकर इस पर कार्य करने की इच्छा रखते है तो मनोज वर्मा जी से नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते है-
 9412567916 





Wednesday, 14 November 2018

डॉ चिन्मय पंड्या का जीवन परिचय


डॉ चिन्मय पंड्या नाम सुनते ही मन में एक आदर्श युवा की छवि उभरती है, एक ऐसा युवा जो ब्रिटेन जैसे शाही देश में  डॉक्टर की सर्विस त्यागकर अपनी मातृभूमि की सेवा के भाव से पुनः देश लौटे। 2010 से लगातार देव संस्कृति विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है, साथ-साथ राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर की कई नामी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे है।

वर्त्तमान में डॉ पंड्या अध्यात्म के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार के समकक्ष टेम्पल्टन पुरस्कार की ज्यूरी के मेंबर भी है, जो कि समूचे भारतवर्ष के लिए गर्व और गौरव की बात है क्योंकि पहले भारतीय है जो इस पुरस्कार की चयन समिति के सदस्य है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या जी इनके पिता हैं। करोड़ों गायत्री परिजनों के आस्था के केंद्र युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ  पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी व माता भगवती देवी शर्मा की गोदी में खेलने का सौभाग्य बचपन में इन्हें प्राप्त हुआ।

 करिश्माई व्यक्तित्व के धनी डॉ पंड्या भारतीय संस्कृति को वर्तमान की तमाम समस्याओं के समाधान के रूप में देखते है। इनके ओजस्वी भाषण सुनने को हर कोई लालायित रहता है। यह अपने धाराप्रवाह उद्बोधन से श्रोताओं को भीतर से झकझोरकर सकारात्मक दिशा में सोचने को मजबूर कर देते है। भारतीय वेशभूषा धोती-कुर्ते  व खड़ाऊ धारण किये डॉ पंड्या बेहद विनम्र स्वभाव के धनी है।

देव संस्कृति विश्वविद्यालय को परिवार की भांति संचालित करके डॉ पंड्या प्रतिकुलपति  के साथ अभिभावक की भूमिका का निर्वहन कर रहे है। इसी का नतीज़ा है कि विद्यार्थी प्यार से इन्हें भैया भी कहते है। यहाँ अध्ययनरत हो या पुराना कोई भी विद्यार्थी सहजतापूर्वक इनसे मिल सकता है। नित्य नये प्रयोग करने का स्वभाव  इनके व्यक्तित्व में चार चांद लगाता है।

बेहद कम समय में डॉ पंड्या ने काफी ऊँचे मुकाम हासिल किये है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन यूएनओ द्वारा विश्व शांति के लिए गठित अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक के साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशन के परिषद् सदस्य जैसे महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं।

बीते साल ब्रिटेन रॉयल मेथोडिस्ट हॉल में फेथ इन लीडरशिप संस्थान द्वारा विभिन्न धर्मों के आपसी सद्भाव विषय पर डॉ पंड्या ने अपने विचार रखे, जिसमें प्रिंस चार्ल्स, कैंटरबरी के आर्कबिशप, यहूदियों के मुख्य आचार्य, ब्रिटेन के गृहमंत्री एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे। डॉ पंड्या के विचार से प्रभावित होकर उन्हें दूसरे दिन हाउस ऑफ लॉर्डस में अपने विचार व्यक्त करने को आमंत्रित किया गया।

डॉ पंड्या ने दो साल पूर्व इथोपिया में आयोजित यूनेस्को के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। नतीज़न योग को वैश्विक धरोहर का दर्जा मिला। इसी साल वियना में हुए संयुक्त राष्ट्र धर्म सम्मेलन में डॉ पंड्या ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके वक्तव्य से प्रभावित होकर पाकिस्तानी धर्म गुरुओं ने उन्हें पाकिस्तान आने का न्यौता दिया।
ऐसी उपलब्धियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, जो उनके प्रखर व्यक्तित्व की वैश्विक छाप को दर्शाती है। इनकी अब तक की जीवन यात्रा को देखकर लगता है आने वाले दिनों में ये कामयाबी कई बड़े कीर्तिमान स्थापित करने वाले है।

Monday, 5 November 2018

दीवाली की धूम के बीच हवा व पटाखे के बीच एक रोचक चर्चा

डिसक्लेमर : यह रोचक वार्तालाप हवा और पटाखे के बीच का है। जिसे पढ़ने पर आपको पता चलेगा कि यदि ये दोनों सजीव होते तो बढ़ते वायु प्रदूषण पर आपस में क्या वर्तालाप करते ?



वार्तालाप
हवा : पटाखे! दीवाली आते ही तुम फटना शरू हो जाते हो। चारों तरफ तुम्हारी ही आवाज सुनने को मिलती है।
पटाखा : ये ही तो अपना रुतबा है, गली-मोहल्ले, गाँव-शहर हर जगह मैं अपनी धूम मचाता हूँ।
हवा : एक बात बताओं कि तुम धुंए का इतना धंधुकार क्यों करते हो?
पटाखा : सुन, मेरे धमाके का उत्पाद धुंआ है इस पर तुम अँगुली नहीं उठा सकती हो।
हवा : तुम्हारे इस उत्पाद का खामियाजा मुझे भुगतना पड़ता है, प्रदूषण की बदनामी मेरे नाम के आगे लगती है।
पटाखा : इसमें मेरा क्या दोष है ? मैं खुद से थोड़ा ही फटता हूँ, पैसे देकर लोग मेरी खरीदारी करते है, फिर मुझे फोड़कर दीवाली मनाते है।
हवा : तुम जिस दीवाली की बात कर रहे हो उसमें मेरे पुत्र का बहुत बड़ा योगदान है।
पटाखा : क्या योगदान है ?
हवा : मेरा पुत्र हनुमान ही था, जिसने सीता जी को रावण के चंगुल से  मुक्त कराने में राम के सहयोगी की प्रमुख भूमिका निभाई थी।
पटाखा : इसका दीवाली से क्या मतलब ?
हवा : तुम केवल धमाका ही करते हो, कुछ पता तो  है नहीं तुम्हें।
राम ने सीता जी को रावण से मुक्त कराने तक वापस घर नहीं लौटने की शपथ ली थी। मेरे बेटे हनुमान ने राम जी की इस शपथ को पूरा करवाया।
पटाखा : फिर ?
हवा : इसके बाद रामजी जी जब वापस अयोध्या अपने घर लौटे तो अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया।
तब से उस दिन पर दीपावली मनाने का सिलसिला शरू हुआ जो आज भी जारी है।
पटाखा : यानि मैं उस दौर में नहीं था।
हवा : बिल्कुल नहीं थे।
मॉर्डन लोगों ने मेरे बेटे का एहसान भुलाकर तुम्हारे माध्यम से मुझे ही प्रदूषित करना शुरू कर दिया। पर इसका दुष्परिणाम , खुद उन्हें ही झेलना होगा।
बेचारा सुप्रीम कोर्ट है जो मेरी शुद्धि के लिए प्रयास करता है।
पटाखा : देखो मैं तुम्हारा  दुःख समझ सकता हूँ पर मेरे वश में कुछ नहीं है।
मेरा एक नया वर्जन है, इकोफ्रेंडली वाला। अगर लोग चाहे तो उसका उपयोग कर सकते है, जिससे धमाका तो होगा पर प्रदूषण नहीं।
हवा : धन्यवाद पटाखा। तूने तो मेरी बात समझ ली पर ये लोग कब समझेंगे जो मुझे प्रदूषित कर अपने ही पाँवो पर कुल्हाड़ी मारते जा रहे है। कभी तुम्हारे माध्यम से तो कभी गाड़ियों के माध्यम से।
पटाखा : ये तो समझदारों की नासमझी है कभी तो इन्हें अकल जरूर आएगी।
हवा : मुझे भी यही आशा है। ठीक है पटाखे अब मैं चलती हूँ वरना लोगों का श्वास लेना मुश्किल हो जाएगा।




Tuesday, 2 October 2018

देव संस्कृति विश्वविद्यालय एक अनूठा प्रयोग, विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में सहायक

देव संस्कृति विश्वविद्यालय की हर गतिविधि अपने आप में खास होती है क्योंकि उसके केंद्र में विद्यार्थियों का व्यक्तित्व विकास होता है। ऐसी ही एक गतिविधि प्रज्ञा रेडियों के रूप में बालक छात्रावास में बीते दो सालों से निरंतर चली आ रही है। 
शाम को प्रार्थना के बाद छात्रों द्वारा नियमित रिकॉर्डेड रेडियों कार्यक्रम चलाया जाता है। जिसमें जीवन प्रबंधन से जुड़े विषय, जन्म दिन विशेष, त्यौहार-पर्व सन्देश के साथ हमेशा "कौन बनेगा प्रज्ञा पुत्र" के तहत एक सवाल होता है। सही जवाब देने वाले प्रतिभागीयों में से एक छात्र को लक्की ड्रॉ के जरिये चुना जाता है प्रज्ञा पुत्र। जिसको प्रज्ञा उपहार के रूप में युग साहित्य दिया जाता है ।


छात्रावास अधीक्षक डॉ.  शिवनारायण प्रसाद जी प्रज्ञा पुत्र विजेताओं को युग साहित्य भेंट करते हुए।

इसके अलावा इस रेडियों कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न समाचारों का साप्ताहिक प्रज्ञा बुलेटिन के जरिये प्रसारण होता है। साथ ही छात्रावास में  संचालित विभिन्न सकारात्मक कार्यक्रमों को प्रज्ञा रेडियों में विशेष अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाता है। शनिवार शाम को उन विद्यार्थियों के साक्षात्कार का प्रसारण किया जाता है जो कुछ नया प्रेरणादायी कार्य करते है ताकि बाकि छात्र प्रेरणा ले सके।

छात्रावास अधीक्षक डॉ.  शिवनारायण प्रसाद जी के मुताबिक प्रज्ञा रेडियों का यह कार्यक्रम विद्यार्थियों द्वारा प्रो. डॉ गोपालकृष्ण शर्मा जी के मार्गदर्शन में सम्पन्न होता है। इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह है कि इसमें सभी कॉर्सेज के छात्रों की भागीदारी  रहती है। चाहे यह भागीदारी आर.जे. के रूप में हो या "कौन बनेगा प्रज्ञा पुत्र" में प्रतिभागी के रूप में हो।
ऐसे रचनात्मक कार्यों से विद्यार्थियों का प्रोफेसनली डवलपमेन्ट होने के साथ साथ व्यक्तित्व के अन्य आयामों का विकास होता है। 




Sunday, 23 September 2018

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में चला स्वच्छता महाअभियान


देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आज भारत सरकार द्वारा घोषित स्वच्छता पंखवाड़े के तहत महाश्रमदान किया गया।  कुलपति शरद पारदी जी,  प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने  प्रज्ञेश्वर महाकाल परिसर में झाड़ू लगाकर स्वच्छता अभियान की शुरुआत की।  करीब दो घण्टे चले इस अभियान में विद्यार्थियों के साथ स्टाफ के मेम्बर्स ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वोलेंटियर्स ने विश्विद्यालय परिसर में स्थित श्रीराम भवन, चैतन्य भवन, प्रज्ञेश्वर महाकाल, श्रीराम स्मृति उपवन, मृत्युंजय सभागार व आस-पास के क्षेत्र में सफाई की।
महाकाल परिसर में सफाई करते विद्यार्थी।

साथ ही छात्र-छात्राओं ने रंगोली,पोस्टर व कोटेशन के माध्यम से स्वच्छता को लेकर अपने भाव प्रकट किए। 
इस अवसर पर प्रतिकुलपति डॉ पंड्या जी ने कहा कि सफाई स्वभाव का अंग होनी चाहिए। यदि मन स्वच्छ होगा तो उसकी अभिव्यक्ति बाहरी सफाई व सुव्यस्थता में होगी। पंड्या जी ने स्वच्छता को सच्ची सेवा बताते हुए कहा कि यदि हम स्वच्छता की शपथ लेकर उसके लिए जो कार्य करते है वह समाज व राष्ट्र निर्माण में अद्वितीय भूमिका अदा करते हैं।
इस पूरे अभियान की डीडी न्यूज़ द्वारा कवरेज भी की गई। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा गाँधीजी की जयंती के उपलक्ष में स्वच्छता पंखवाड़ा मनाया जा रहा है, जिसमें स्कूलो, कॉलेज, विश्वविद्यालय समेत विभिन्न संस्थाएँ सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रही है।

Saturday, 15 September 2018

वर्तमान राष्ट्रीय मुद्दों को जाने नये अंदाज़ में


वाह भारत! तेरा क्या कहना।  रमजान के महीने में मौलवी जी की माइक पर पुकार पूरी हुई थी कुछ दिन बाद गणों के देवता गणपति का पर्व आ गया। तो गली-गली में गण (लोग) डीजे पर झूम रहे है। गणेश जी के बड़े-बडे़ कानों को गीत सुनाने के लिए सामान्य जनों के छोटे कानों की तो ऐसी-तैसी कर रखी है।

 इस शोर शराबे के बीच माल्या ने धमाकेदार एंट्री की और मीडिया को नया मसाला मिल गया। राजनेताओं की तो बल्ले-बल्ले हो गई चुनावी मौसम में चर्चा का केंद्र बिंदू मिल गया। मजेदार बात भी है विपक्ष की आक्रामकता को सत्तापक्ष के एक सांसद ने ही खुराक दे दी। सत्ता पक्ष बचाव की मुद्रा में है पर तीखे तेवरों के साथ। विरोधियों को आईना दिखाने हेतु मंत्रियों की टीम मैदान में है।

पूरी रस्साकसी की जड़ तो चुनाव है। कौन कहता है चुनावों में ताकत नहीं है एक-दूसरे को सीधी नजर से नहीं देखने वाले आज हाथ मिलाने को मजबूर है। किन्तु मामला अब भी मुश्किल है क्योंकि बुआ-बबुआ की जोड़ी बनती देख नेताजी के परिवार में फूट पड़ गई। देखते-देखते नये मोर्चे का गठन हो गया। वह भी उस प्रदेश में जहां से दिल्ली जाने का रास्ता तय होता है। उधर शाह बाबा को भय है  2019  इलेक्शन हाथों से फिसल गया तो 50 सालों तक हंगामा करने के सिवाय कुछ नहीं बचने वाला है। इसलिए तो चुनावी राज्यों में यात्राओं का दौर जोरो पर है।

सपनोंके पीएम ने संसद में बड़े सरदार को गले लगाकर आंख क्या मार दी। जमाना पीछे ही पड़ गया। अब भाषण की कला में भी पारगंत हो गए है। जनेऊ का प्रदर्शन किया, मंदिरों की यात्रा की। ठेठ मानसरोवर तक पहुंच गये। और तो और तो बाज की भांति माल्या के मुददे को भी झपट लिया। अब तो सपना पूरा होगा ही!

रुपया दिनोंदिन गिर रहा है। ससूरे ने गिरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लगता है रुपये ने भांग की गोली ज्यादा ही खा ली है क्योंकि ये गिर के उठ भी नहीं पा रहा है। मंत्री जी के रवैये से तो लगता है, वे भारतीय शास्त्रों में लिखे सूत्र का पालन कर रहे है  "गिरने वाला खुद उठता है"।

Friday, 29 June 2018

राजस्थान में लंबी जद्दोजहद के बाद भाजपा को मिला प्रदेश अध्यक्ष


आखिरकर राजस्थान बीजेपी ने ढाई महीने की लंबी खींचतान के बाद राज्यसभा सदस्य मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी। भाजपा के इस फैसले से पार्टी में वसुंधरा की साख को और मजबूती मिलेगी। क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त करना चाहता था। लेकिन सीएम वसुंधरा ने जातिगत समीकरणों का हवाला देते हुए शेखावत की नियुक्ति पर सहमति नहीं दी। जिसके चलते पिछले 75 दिनों से प्रदेश बीजेपी के मुखिया का पद खाली पड़ा था। कर्नाटक चुनाव से पहले व बाद कई मीटिंग्स के बाद मदनलाल सैनी को प्रदेश बीजेपी की कमान सौंपी है।

कौन है मदनलाल
वर्तमान में राज्यसभा सांसद मदनलाल झुंझुनू के गुड़ा से विधायक रह चुके है। साथ ही प्रदेश बीजेपी की अनुशासन कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर संगठन में काम किया है।



मदनलाल की  नियक्ति के पीछे की वजह
मदनलाल ओबीसी वर्ग से आते है इसलिए राजस्थान के ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए इन्हें अध्यक्ष बनाया है। इसके अलावा प्रदेश में माली वोटर्स भी बड़ी संख्या में है मदनलाल माली जाति से आते है इसलिए अब माली वोटर्स भी इनके साथ खड़ा होकर भाजपा को सपोर्ट कर सकता है। आपको बता दे कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक गहलोत भी माली जाति से आते है, इन्हीं के जवाब में मदनलाल को बड़ा पद देकर भाजपा ने कांग्रेस के परंपरागत वोटों में सेंध लगाने का प्रयास किया है।

Monday, 21 May 2018

सूखे कंठ को मिलता है यहाँ मुफ्त में मीठे पानी का सुकून

आँखों देखा हाल....
रेतीले टीले, कड़ी धूप, बीच से निकलती तपती ट्रेन, जिसमें आप सवार हो, यदि आपको मुफ्त में ठंडा पानी पिला दे तो उस समय वह साक्षात भगवान के समान लगता है।
ऐसा ही अनुभव आपको पश्चिमी राजस्थान की  रेल यात्रा में मिल सकता है। राजस्थान की सीमा शुरू होते ही रेगिस्तानी टीले दिखने  शुरू हो जाते है। इस मौसम यानी गर्मी में लू का भी प्रकोप भी अपनी चर्म सीमा पर रहता है। इसी वजह से  रेल का तापमान भी बढ़ जाता है। कंठ सूख जाता है, ठंडे पानी को जी तरसता है।  इस हालात में रेलवे स्टेशन पर कुछ लोग खासकर माता-बहने मुफ्त में ठंडा पानी पिलाती आसानी से नजर आ सकती है। यात्रियों के लिए वह ठंडा पानी किसी अमृत से कम नहीं होता और पिलाने वाले लोग किसी भगवान से कम नहीं  होते।

उन सेवकों का जीवन सादा होता है, पहनावा स्थानीय राजस्थानी और सुगन्ध भी अपनी संस्कृति की। हाँ, जरूर वे लोग बोतलों में बंद पानी पीने वालो और आधुनिकता के अंधों के लिए अनपढ़ गंवार हो सकते है पर वास्तव में विचारों से महान होते है, जिसकी झलक ऐसे परमार्थ व सेवा कार्यों में दिखती है। वे ही  भारत की सच्ची शान व पहचान है। पर मीडिया के मित्रों के लिए वे कभी हैडलाइन नहीं बनते क्योंकि उनके पास सनसनी नहीं होती है। आप और मेरे जैसे लोगों के लिए वे चर्चा का विषय भी होते है और प्रेरणा का स्रोत भी। कारण जमीनी जुड़ाव हो सकता है या कुछ और भी। जो भी हो ऐसे आँखों देखे नजारों को लिखने हेतु अपनी कलम बैचेन हो जाती है। आराम तभी मिलता है जब आप तक ये सकारात्मक खबरे पहुँच पाती है।

Saturday, 12 May 2018

कर्नाटक में लोकतंत्र का पर्व सफलतापूर्वक संपन्न, 70 प्रतिशत प्रदेशवासियों ने की शिरकत


आज कर्नाटक विधानसभा चुनाव छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शान्तिपूर्वक संपन्न हुए। चुनाव आयोग ने बताया शाम छह बजे तक राज्य की 224 में से 222 विधानसभा सीटों पर 70 प्रतिशत वोटिंग हुई। आपको बता दें कि बची दो सीटों में से आरआर नगर सीट पर 10,000 वोटर कार्ड जब्त होने के कारण मतदान की तिथी आगे बढ़ा दी गई। वहीं दुसरी सीट पर भाजपा के प्रत्याशी बीएन विजय कुमार की मौत की वजह से आज वोटिंग नहीं हुई। पिछले चुनाव में मतदान का यह आंकड़ा 71.14 फीसदी था।


2600 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद
आज 2600 से अधिक उम्मीदवारों की किस्मत को प्रदेशवासियों ने ईवीएम में कैद कर दिया। सुबह से ही पोलिंग बूथ  पर मतदाताओं की लंबी कतारें लग गई थी। दिन में तेज धूप के चलते चुनाव आयोग ने शाम को मतदान का समय एक घन्टे बढ़ाकर 6 बजे कर दिया। 

कौन बनेगा कर्नाटक का सीएम फैसला 15 मई को
अब इंतजार है 15 मई का। क्योंकि इस दिन, कौन बनेगा कर्नाटक का मुख्यमंत्री, इस सवाल का सटीक जवाब चुनाव परिणाम ही बताएंगे। हो सकता है कांग्रेस से सिद्धारमैया 25 सालों का इतिहास तोड़कर लगातार दूसरी बार सीएम बने या फिर भाजपा से येदियुरप्पा मुख्यमंत्री की कमान सभांले। एक्जिट पोल की माने तो संभावना त्रिशंकु विधानसभा की भी है।
यदि ऐसा होता है तो भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के चांसेज ज्यादा है क्योंकि पिछले चुनावों में गोवा, मणिपुर व मेघालय में भी वहां की जनता ने किसी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया था और कांग्रेस सबसे अधिक सीटे जीतने के बावजूद भी बहुमत से दूर रह गई थी। तीनों राज्यों में नम्बर दो पर रही भाजपा ने क्षेत्रीय दलों के सहयोग से अपनी सरकार बनाई थी।
एक्जिट पोल यदि सही साबित होते है तो ऐसे हालात कर्नाटक में देखने को मिल सकते है। जद-एस के सहयोग से भाजपा येदियुरप्पा को सीएम बना सकती है। खैर जो भी हो कर्नाटक के लोगों ने अपना निर्णय ईवीएम में बंद कर दिया है, जो भी सीएम बने प्रदेश के लोगों से किए चुनावी वादों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़े।


इंतजार चुनाव परिणाम का
चुनाव से पहले सभी दलों ने जमकर एक-दूसरे पर जुबानी वार किए। चाहे भाजपा की तरफ से पीएम मोदी व टीम अमित शाह हो या फिर कांग्रेस की ओर से सीएम सिद्धरमैया व टीम राहुल गांधी सबने एक-दूसरे पर खूब चनावी कीचड़ उछाला पर अब सभी को इंतजार है चुनावी परिणाम का।


चुनाव आयोग एक्शन के मूड में
इस बार चुनाव से पहले कर्नाटक में 171 करोड़ रुपये की नकदी, गहने व मादक पदार्थों की गिरफ्तारी भी चौकान्ने वाली है क्योंकि ये यूपी के बाद दूसरा राज्य है, जहां चुनाव से पूर्व अवैध धन की इतनी बड़ी मात्रा में गिरफ्तारी हुई है। आरआर नगर सीट से 10,000 चुनावी आईडी कार्ड की गिरफ्तारी भी हैरान कर देने वाली है। क्योंकि ऐसे मामले लोगों की लोकतंत्र के प्रति आस्था  डिगाने का काम करते है। इसलिए वहां केवल चुनाव निलबंन करना पर्याप्त नहीं है बल्कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही लोगों के मन में चुनाव के लिए और अधिक आदर व विश्वास बना सकती है।

Saturday, 5 May 2018

नशा है जीवन नर्क बनाने का नुस्खा

उम्र से युवा, समझ पशु जैसी, उद्देश्य एक ही कि किसी तरह नशे का बंदोबस्त हो, अपराधी चलन, बीमारियों का आक्रमण, परिवार परेशान व समाज हैरान कुछ ऐसा हाल आज भारत की अधिकतर युवा आबादी का हो चूका है।

माता-पिता की उम्मीदें होती है कि बेटा बड़ा होकर परिवार का भार कंधो पर लेगा, हमें आराम करने का अवसर देगा, पर बेटा बड़ा होकर उन्हें राहत देने की बजाय और अधिक परेशानी में डाल देता है क्योंकि वह नशे की अंधी दुनिया में धसकर बर्बादी के रास्तों को चुन लेता है।


‌जब वह नशे की लत का गुलाम बन जाता है तो उसके लिए आजीविका व नशे की आदत की पूर्ति के लिए आवश्यक धन जुटाना मुश्किल हो जाता है। अंत में वह नशे की भूख मिटाने के लिए चोरी, डकेती, गुड़ागर्दी व तमाम आपराधिक गतिविधियां करने को मजबूर होता है। जिसका दुष्परिणाम समूचा समाज झेलता है।

‌आज-कल तो नशे के नंगे नाच का तांडव इस कदर हो चूका है कि ये नशेड़ी बहन-बेटियों की इज्जत तक लूटने से नहीं डरते।
‌वर्तमान में भारत में युवाओं की आबादी 70 फीसदी है जो राष्ट्र का नव-निर्माण बड़ी तेज गति से कर सकते है पर इनमें  से अधिकतर नशे के आदि हो चुके है, जो राष्ट्र पर बोझ बनने का काम कर रहे है।

‌इस प्रकार नशे से ग्रसित व्यक्ति व्यक्तिगत स्तर पर बीमारी व दिशाहीनता, पारिवारिक स्तर पर तनाव, सामाजिक अपराध व राष्ट्र के लिए बोझ बनकर सामने आ रहा है।

‌अब आवश्यकता है इन भटके लोगों को जागरूक कर पुनः  सही राह दिखाने की, ताकि नशे के चंगुल से बाहर निकल सके। साथ ही सामाजिक जागरूकता की ताकि नये युवा नशे की दुनिया से अपना नाता न जोड़े।

Sunday, 29 April 2018

संकल्प शक्ति मजबूत बनाने का आसान उपाय

हम संकल्प लेते हैं , कुछ करने का निश्चय करते है तो थोड़े समय बाद उसे भूलने लगते है। हमारी उस कार्य को करने की इच्छाशक्ति कम होने लगती है। मन उस काम को नहीं करने के कई बहाने बनाने लगता है । ऐसी दशा में हम उस कार्य को करना छोड़ देते है और संकल्प वहीं धरा रह जाता है।
अब हमारे मन में सवाल उठता है कि ऐसी कोई तकनीक है जो संकल्प शक्ति को मजबूत बनाए ताकि हम निर्धारित कार्य को पूरी क्षमता के साथ कर सके। जी हां यह बड़ा आसान काम है। बस आवश्यकता है मन के विज्ञान को समझने की।
जैसे ठोस, द्रव व गैस पदार्थ की तीन आयाम होते है वैसे ही चेतन, अचेतन व पराचेतन ये तीनों हमारे मन के आयाम होते हैं ।
जागते समय व सामान्य बातचीत का सम्बन्ध चेतन मन से, नींद व सपनों का सम्बन्ध अचेतन मन से एवं ध्यान-समाधि का सम्बन्ध पराचेतन मन से होता है। 
आश्चर्य की बात तो यह है सामान्य तौर पर हम अपनी सारी ऊर्जा चेतन मन पर ही लगाते है। इसकी तुलना में अचेतन व पराचेतन मन बहुत शक्तिशाली होते है  पर हम इनका का उपयोग नहीं कर पाते। क्योंकि हमें ये जानकारी  नहीं है कि मन के भी इतने आयाम होते है। और यदि यह पता भी हो तो उपयोग की तकनीक भी आनी चाहिए। तो मैं अब आपको बताता हूँ अचेतन मन का प्रयोग करने की तरकीब। साथ में ये भी कैसे अचेतन मन से संकल्प शक्ति को बढ़ाते है ? 
रात में जब हम सोते है तो नींद लेते समय जो अंतिम विचार होता है वही सपने में आता है। अर्थात वह विचार अचेतन मन में चला जाता है। मतलब अचेतन मन को साधने की तकनीक ये है कि सोते समय उन विचारों का चिंतन करे जिन्हें अचेतन मन में घुसाना है। यदि आप चाहते हो हमारा संकल्प अचेतन मन में प्रवेश करे ताकि उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाए। तो आप जब सोने के लिए बिस्तर पर लेटते हो तो अपने संकल्प का पांच मिनट जर
ध्यान जरूर करे। यदि ऐसा निरंतर करोंगे तो आप पाओंगे कि आपकी संकल्प शक्ति मजबूत हो रही है जिससे आपको उस कार्य से जुड़े परिणाम भी अच्छे मिलने लगेंगे।