हम संकल्प लेते हैं , कुछ करने का निश्चय करते है तो थोड़े समय बाद उसे भूलने लगते है। हमारी उस कार्य को करने की इच्छाशक्ति कम होने लगती है। मन उस काम को नहीं करने के कई बहाने बनाने लगता है । ऐसी दशा में हम उस कार्य को करना छोड़ देते है और संकल्प वहीं धरा रह जाता है।
अब हमारे मन में सवाल उठता है कि ऐसी कोई तकनीक है जो संकल्प शक्ति को मजबूत बनाए ताकि हम निर्धारित कार्य को पूरी क्षमता के साथ कर सके। जी हां यह बड़ा आसान काम है। बस आवश्यकता है मन के विज्ञान को समझने की।
जैसे ठोस, द्रव व गैस पदार्थ की तीन आयाम होते है वैसे ही चेतन, अचेतन व पराचेतन ये तीनों हमारे मन के आयाम होते हैं ।
अब हमारे मन में सवाल उठता है कि ऐसी कोई तकनीक है जो संकल्प शक्ति को मजबूत बनाए ताकि हम निर्धारित कार्य को पूरी क्षमता के साथ कर सके। जी हां यह बड़ा आसान काम है। बस आवश्यकता है मन के विज्ञान को समझने की।
जैसे ठोस, द्रव व गैस पदार्थ की तीन आयाम होते है वैसे ही चेतन, अचेतन व पराचेतन ये तीनों हमारे मन के आयाम होते हैं ।
जागते समय व सामान्य बातचीत का सम्बन्ध चेतन मन से, नींद व सपनों का सम्बन्ध अचेतन मन से एवं ध्यान-समाधि का सम्बन्ध पराचेतन मन से होता है।
आश्चर्य की बात तो यह है सामान्य तौर पर हम अपनी सारी ऊर्जा चेतन मन पर ही लगाते है। इसकी तुलना में अचेतन व पराचेतन मन बहुत शक्तिशाली होते है पर हम इनका का उपयोग नहीं कर पाते। क्योंकि हमें ये जानकारी नहीं है कि मन के भी इतने आयाम होते है। और यदि यह पता भी हो तो उपयोग की तकनीक भी आनी चाहिए। तो मैं अब आपको बताता हूँ अचेतन मन का प्रयोग करने की तरकीब। साथ में ये भी कैसे अचेतन मन से संकल्प शक्ति को बढ़ाते है ?
रात में जब हम सोते है तो नींद लेते समय जो अंतिम विचार होता है वही सपने में आता है। अर्थात वह विचार अचेतन मन में चला जाता है। मतलब अचेतन मन को साधने की तकनीक ये है कि सोते समय उन विचारों का चिंतन करे जिन्हें अचेतन मन में घुसाना है। यदि आप चाहते हो हमारा संकल्प अचेतन मन में प्रवेश करे ताकि उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाए। तो आप जब सोने के लिए बिस्तर पर लेटते हो तो अपने संकल्प का पांच मिनट जर
ध्यान जरूर करे। यदि ऐसा निरंतर करोंगे तो आप पाओंगे कि आपकी संकल्प शक्ति मजबूत हो रही है जिससे आपको उस कार्य से जुड़े परिणाम भी अच्छे मिलने लगेंगे।
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