देव संस्कृति विश्विद्यालय से एक महीने की सोशल इंटर्नशिप के लिए गए विद्यार्थी अविस्मरणीय अनुभव के साथ वापस लौटे। गुरुसत्ता के आशीष के अनुभूति उनके द्वारा सहज ही जानी जा सकती है। पूर्वोत्तर भारत के असम व अरुणाचल प्रदेश में जाने वाली टोली सदस्य राजू राम, निखिल चौधरी व प्रखर पांडे ने इंटर्नशिप में बेहतरीन काम कर एक मिसाल पेश की। स्थानीय कार्यकर्ता डॉ आर.एन. यादव के मार्गदर्शन में टीम ने योग, बालसंस्कार, दीप यज्ञ, यज्ञ व व्यक्तित्व परिष्कार कार्यशाला का आयोजन किया।
गायत्री प्रज्ञापीठ जागुन में बालसंस्कार शाला में विद्यार्थियों की संख्या 3 शुरू से होकर 56 तक पहुँची। सबसे खास बात इसमें हिन्दूओं के आलावा मुस्लिम व ईसाई परिवार के बच्चे भी शामिल थे। टीम ने असम के लेखापानी में राजपुताना रायफल्स नवीं बटालियन के जवानों व अधिकारियों की 11 दिनों तक योग, ध्यान, प्राणायाम की कक्षा ली। जिससे प्रभावित होकर बटालियन के कर्नल मुकेश पांडे जी ने स्थानीय विद्यार्थियों को दे.सं.वि.वि. में पढ़ाने के लिए फीस व अन्य आवश्यक खर्च वहन करने का वादा किया। साथ ही विश्वविद्यालय के बीएड में अध्ययनरत जागुन की एक छात्रा को 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। कर्नल पांडे जी ने गायत्री परिवार के असम में शिक्षा व स्वास्थ्य आंदोलन को गति देने के लिए 5 लाख की वित्तिय सहायता का प्रस्ताव भी दिया।
इंटर्नशिप टीम ने जागुन क्षेत्र की जामा मस्जिद में 9 दिवसीय योग शिविर लगाकर प्रज्ञा योग व सूक्ष्म व्यायामों द्वारा स्वस्थ रहने के गुर सिखाए। मस्जिद के कार्यक्रम के समापन पर आयोजित सामूहिक प्रार्थना में सत्प्रवृत्ति सवंर्धन व दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन के तहत मुस्लिम बंधुओं को संकल्प कराया। टीम ने अरुणाचल प्रदेश के जयरामपुर में स्थित असम रायफल्स 13 वीं बटालियन में चार दिवसीय योग, एक्युप्रेशर व मर्म चिकित्सा का शिविर लगाया। जिसका लाभ बटालियन के जवानों, अधिकारियों व उनके परिवारों ने लिया। इस दौरान असम रायफल्स स्कूल के विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के सूत्र देकर प्रज्ञा योग सिखाया।
स्कूलों में आयोजित कार्यक्रमों में योग, आदर्श दिनचर्या, उचित खानपान व व्यक्तित्व विकास के साथ गायत्री मंत्र का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक लाभ विद्यार्थियों तक पहूंचाया। साथ ही विद्यार्थियों को देव संस्कृति विश्वविद्यालय में पढ़ने का आमंत्रण भी दिया। टीम ने किड्जी स्कूल व केंद्रीय विद्यालय लेखापानी के पुस्तकालय में अखण्ड ज्योति को सब्सक्राइब भी कराया। विद्यालयों के स्टाफ को तनाव प्रबंधन व समय प्रबंधन के सूत्र दिए।इस प्रकार एक महीने की परिवीक्षा काल में विद्यार्थियों ने समूचे क्षेत्र को देव संस्कृतिमय बना दिया।
टीम के सदस्यों के अनुसार परिवीक्षाकाल में बड़े-बड़े कार्य करने के लिए वे केवल एक कदमभर बढ़ाते थे, बचा कार्य बड़ी आसानी से हो जाता। जिससे गुरुसत्ता के प्रत्यक्ष आशीष का आभास होता था।
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