Tuesday, 2 October 2018

देव संस्कृति विश्वविद्यालय एक अनूठा प्रयोग, विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में सहायक

देव संस्कृति विश्वविद्यालय की हर गतिविधि अपने आप में खास होती है क्योंकि उसके केंद्र में विद्यार्थियों का व्यक्तित्व विकास होता है। ऐसी ही एक गतिविधि प्रज्ञा रेडियों के रूप में बालक छात्रावास में बीते दो सालों से निरंतर चली आ रही है। 
शाम को प्रार्थना के बाद छात्रों द्वारा नियमित रिकॉर्डेड रेडियों कार्यक्रम चलाया जाता है। जिसमें जीवन प्रबंधन से जुड़े विषय, जन्म दिन विशेष, त्यौहार-पर्व सन्देश के साथ हमेशा "कौन बनेगा प्रज्ञा पुत्र" के तहत एक सवाल होता है। सही जवाब देने वाले प्रतिभागीयों में से एक छात्र को लक्की ड्रॉ के जरिये चुना जाता है प्रज्ञा पुत्र। जिसको प्रज्ञा उपहार के रूप में युग साहित्य दिया जाता है ।


छात्रावास अधीक्षक डॉ.  शिवनारायण प्रसाद जी प्रज्ञा पुत्र विजेताओं को युग साहित्य भेंट करते हुए।

इसके अलावा इस रेडियों कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न समाचारों का साप्ताहिक प्रज्ञा बुलेटिन के जरिये प्रसारण होता है। साथ ही छात्रावास में  संचालित विभिन्न सकारात्मक कार्यक्रमों को प्रज्ञा रेडियों में विशेष अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाता है। शनिवार शाम को उन विद्यार्थियों के साक्षात्कार का प्रसारण किया जाता है जो कुछ नया प्रेरणादायी कार्य करते है ताकि बाकि छात्र प्रेरणा ले सके।

छात्रावास अधीक्षक डॉ.  शिवनारायण प्रसाद जी के मुताबिक प्रज्ञा रेडियों का यह कार्यक्रम विद्यार्थियों द्वारा प्रो. डॉ गोपालकृष्ण शर्मा जी के मार्गदर्शन में सम्पन्न होता है। इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह है कि इसमें सभी कॉर्सेज के छात्रों की भागीदारी  रहती है। चाहे यह भागीदारी आर.जे. के रूप में हो या "कौन बनेगा प्रज्ञा पुत्र" में प्रतिभागी के रूप में हो।
ऐसे रचनात्मक कार्यों से विद्यार्थियों का प्रोफेसनली डवलपमेन्ट होने के साथ साथ व्यक्तित्व के अन्य आयामों का विकास होता है। 




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