Thursday, 4 January 2018

जलती मसाल विचार क्रांति की निशानी है


जलती मसाल विचार क्रांति की निशानी है

जलती मसाल विचार क्रांति की निशानी है
जिसके तप से दुनिया बदली जानी है
इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य की हुंकार है
चारों दिशाओं में इसकी जय-जयकार है
जो इस ज्वाला के छाए में आया है
अपने में परिवर्तन पाया है
भावों को ऊपर उठाया है
व्यक्तित्व को महान बनाया है
यह प्रारम्भिक पोषित जिंदगानी है
जलती मसाल विचार क्रांति की निशानी है
जिसके तप से दुनिया बदली जानी है

विवेकानंद के विचारों पर
पूज्य गुरुदेव के पदचिन्हों पर
सब मिलकर आगे बढ़ते है
जीवन को आदर्शों से गढ़ते है
बदलते दौर की यह जवानी है
युग परिवर्तन की कहानी है
जलती मसाल विचार क्रांति की निशानी है
जिसके तप से दुनिया बदली जानी है ।
                               -"राजू राम"

आह ! क्या प्रसन्नता का पल था वह

 प्रसन्नता का पल

आह ! क्या प्रसन्नता का पल था वह। मन में खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। चेहरे पर मुस्कान स्वतः ही आ रही थी। जीवन का अद्भुत अहसास था। उस पल की छाप अभी भी वैसी ही है। वह पल था एक ऐसे साथी की मदद करने के बाद का, जिसका दाहिना हाथ किसी हादसे के कारण काम नहीं कर रहा था और ऊपर से उसके परीक्षा आ गई। संयोग से मुझे उसकी परीक्षा में लिखने का सौभाग्य मिला। मैं भी खुदा की कृपा से परीक्षा में लिखने में उसकी उम्मीद के अनुरूप कामयाब हो सका। जिसके बाद उसे बहुत खुशी मिली। उसकी खुशी से मुझे उस आनंद का अहसास हुआ मानों कि उसकी खुशी में मेरी प्रसन्न्ता छिपी थी। शायद इसी वजह से कहा जाता है कि सच्चे दिल से दूसरों की सहायता से जो सुख मिलता है वह कहीं और नहीं।
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बन गई जिसकी अमिट छाया


सर्दी से सहमे दिल से निकली ये पंक्तियां-

दिल लगा है फड़कने


हरिद्वार के है ऐसे हाल
बन गया हूँ गुदड़ी लाल
चल पड़ी है शीतलहर
हो भलें रात या दोपहर
जारी है इसका कहर

थमने लगी है धड़कने
दिल लगा है फड़कने
अब बिना वस्त्र ताप
लग सकता है श्राप
नाक के बहने का
बंद कमरे में रहने का

ऐसे ठिठुरते हाला में
सवेरे -सवेरे यज्ञशाला में
मिल सकता है आशीष
पर होनी चाहिए कोशिश

वह बिस्तरों को छोड़कर
आलस्य से मुंह मोड़कर
पहली ये सफलता पानी है
फिर तो जोर जवानी है।

                   - राजू राम